प्रकृति संग
प्रफुल्लित है मन
शांति औ हम।
सदुपयोग
बने फिर सुयोग
मिटे वियोग।
काटे जो वृक्ष
जीवन बने तक्ष
सोचो हो दक्ष।
नदी पहाड़
बोले सब दहाड़
सुनो तिहाड़।
बचाओ पानी
बूंद ही जिंदगानी
रचो कहानी।
पक्षी गगन
मेघ हुए मगन
सुनो लगन।
मरीज रुके
जब प्रकृति तले
हर रोग टले।
करो प्रयास
नही रचो विनाश
बदहवास।
#स्वरचित
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