मंगलवार, 27 जून 2017

बौनी प्रीत

लघुकथा:-बौनी प्रीत (अप्रकाशित)

रचना अपनी खिलौनों की दुकान पर बैठी ग्राहक का इंतजार कर रही थी,पर ये क्या ग्राहक है जो आने का नाम ही नही ले रहे है।इतने में ही रोज की तरह श्याम बाबू आ जाते है दुकान पर।रचना श्यामबाबू को देखकर शरमा जाती है ।हिचकिचाते हुए उन्हें बैठने को कहती है।यूँ तो श्याम बाबू रोज आते थे,पर आज अजीब सी खामोशी छा जाती है उनके आने पर।इतने मे ही रेडियो पर गाना बजता है"कुछ ना कहो,कुछ भी ना कहो....."।
दोनों एक दूसरे की आँखों में खो जाते है....।
अचानक श्याम बाबू चुप्पी को तोड़ते हुए कहते है-"रचना!क्या सोचा तुमने,मुझसे शादी करोगी या नही।"
रचना-"देखिये शहरी बाबू!!!मेरे तो भाग ही खुल गये,परन्तु आपसे तो कुछ न छुपा है।माँ-बाप है नही,छोटी बहन की पढ़ाई पूरी होने वाली है,पहले उसके हाथ पीले करूँगी मैं;तभी खुद शादी के बारे मे सोचूंगी।"
श्याम बाबू-"हाँ तो कर दे ना पहले उसके हाथ पीले।तेरी हाँ का जीवन भर इंतजार करूँगा।"सुनते ही रचना मन ही मन बहुत प्रफुल्लित हो जाती है मानो बरसो बाद उसे दुनिया की तमाम खुशियां मिल गई हो।
इतने में ही रचना की छोटी बहन कविता आ जाती है"दीदी चलो न,जब मैं शहर से आऊ कम से कम तब तो जल्दी घर आया करो।"
रचना-"अच्छा बाबा तू चल मैं अभी आती हूँ।
कविता जाते हुये श्याम बाबू को नमस्ते कह जाती है।
श्याम बाबू-"ओह्ह्ह!!!ये है तुम्हारी छोटी बहन।पढ़ी लिखी,गोरा रंग,तीखे नैन नक़्श ,सलिखेदार !!!बहुत सुंदर है।"
रचना-"जी ,बस उसके लायक कोई अच्छा लड़का मिल जाये,मेरी सारी जिम्मेदारियां खत्म।"
श्याम बाबू-"देखो रचना!मैं पढ़ा लिखा सुंदर हूँ,भगवान की कृपा से बड़ा अफसर भी हूँ।तुम......अगर ...चाहो...तो..मैं थाम लूँ तुम्हारी छोटी बहन का हाथ।बोलो क्या बोलती हो।"
रचना के पैरों तले मानो जमीन खिसक गयी हो।पल भर को लड़खड़ाते हुये पैरों को संभालते हुए अपनी आँखो मे आँसू लिए शहरी बाबू की ओर घृणित नजरों से देखती रहती है.....।

#स्वरचित#प्रियंका शर्मा

लघुकथा-उबलते नीर(अप्रकाशित)

कीर्ति -"चंचल तेरे लिए बर्थ डे गिफ्ट लाई हूँ मैं,पर तू मुझे केक तो खिलाएगी ना और बलून भी देगी?
चंचल-"हा दूंगी,पर पहले तू गिफ्ट दे।तेरे लिए मैं बड़ी वाली टॉफी लाई हूँ,तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है ना इसलिए।
चंचल के पिता ने छट से कीर्ति को गोद मे उठाया और"चलो चलो अभी दिखाता हूँ"कहते हुए उसे टॉफी देने ले गए।
इतने मे ही कीर्ति को मम्मी की याद आ गई। और तपाक से चिल्लाई"उतारो मुझे अंकल"।वहा मौजूद सभी लोगों का ध्यान कीर्ति पर आ गया।और अंकल ने उसे नीचे उतार दिया।
"क्या हुआ बच्चा,बड़ो से ऐसे बात नही करते।चंचल की मम्मी ने कीर्ति से बड़े प्यार से कहा।
"सभी मुझे प्यार करते है आंटी ,पर जब अंकल प्यार करते है तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता।अंकल चंचल की तरह प्यार नही करते मुझसे।मम्मी ने समझाया हैकि जब तितली को कोई बेड टच करता है तो वो उड़ जाती है।डागी को बेड टच करते है तो वह भी बार्किंग करता है।इसीलिए जब तुम्हे कोई बेड टच करे तो तुम भी वही करना ,डरना नही और सबको बताना चुप ना रहना ,।"कीर्ति ने पूरे साहस के साथ आंटी की बातों का जवाब दिया।
चंचल की माँ की आंखो मे शर्म और "उबलते नीर" साफ दिखाई दे रहे थे उसने कीर्ति को गले से लगाया और चंचल के पिता की ओर देखते हुए कहा"शाबाश!मेरा बच्चा।बिल्कुल ठीक किया तुमने।ऐसे लोग समाज के लिए किसी ग्रहण से कम नही।"

#स्वरचित
प्रियंका शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें