किसान हल
करे जब पहल
भरे तब महल
बोता है बीज
पाता न कोई चीज
बनता है नाचीज।
बंजर धरा
बोले सुन तो ज़रा
मैं तेरी वसुंधरा
किसान भला
तू नही है अबला
हक छीने दे सजा।
तू मजबूर
तेरा क्या है कसूर
जमीदार नासूर
डाले वो दाने
तू ही ना पहचाने
जो उसके बहाने।
पकी फसल
करती है पागल
चोट करे घायल
छद्य परुष
समझते जुगाड़
करते खिलवाड़।
दिखाते रौब
ओहदा आसमान
मन रहे गुमान
फेंकते दाना
फंसाते प्रलोभन
करते सम्मोहन।
भोगे किसान
जीता संग खुद्दारी
जीत जाती गद्दारी
बेपरवाह
करता है गुनाह
कौन करे आगाह।
तेरी लाचारी
उनकी हथियारी
करे तू हड़ताल
ये राजनीति
सब इसकी बिसाद
फंसाद ही फंसाद।
समझदारी
औ रख होशयारी
काहे की मारामारी
खेत किसान
तू ही पहलवान
बन जा बलवान।
#स्वरचित#प्रियंका शर्मा
जीवन-परिचय प्रारूप:
1 रचनाकार का नाम- प्रियंका शर्मा.
2)पति का नाम- ऋषि शर्मा
3)वर्तमान/स्थायी पता-
प्रियंका शर्मा व/०ऋषि शर्मा
गवली हॉस्पिटल के पास,
कुरावर मंडी,जिला-राजगढ़(ब्यावरा)
तहसील-नरसिंहगढ़(म.प्र.)
4)फोन नंबर/व्हाट्स एप्प नंबर-
8463827141
ई मेल-
Priyankaupadhyay193@gmail.com
5)शिक्षा- बी.एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
एम. एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
(पी. जी. कॉलेज,मन्दसौर,
विक्रम यूनिवर्सिटी,उज्जैन)
जन्म-तिथि-
15/05/1987
6)व्यवसाय- Nill
7)प्रकाशन विवरण-
प्रयास पत्रिका(संपादक-सरन घई),हिंदीसागर पत्रिका(जे. एम.डी. पब्लिकेशन,दिल्ली)।
8)घोषणा-
मैं ये घोषणा करती हूँ किप्रकाशन हेतु भेजी गयी रचना मेरे द्वारा लिखित है तथा जीवन परिचय में दी गयी समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है,असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।
प्रियंका शर्मा
दिनांक-
04/06/2017
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