इदोहा का गणित कुछ इस तरह से है
4 + 4 + 3 +2 या 4+ 4 + 2 + 3
प्रथम चरण
द्वितीय चरण - 4 + 4+ 3 ( 2 + 1 )
सादर नमन
कमियां सादर आमन्त्रित है।
1)
दोहा लिख लिख मैं हारी,कुछ समझ नहि आय।
सामने ज्ञानी बड़े,मन मेरा घबराय।।
जीवन सफर मे देखिये,खड़े जो हम मैदान।
मंजिल दीखत है नही,राह बनी बीरान।।
प्रेम जताके वो देख लो,भीतर मन समाय।
मीठा मीठा बोलि कै,पीठ छुरीन घुसाय।।
जात पात का भेद ये,बात समझ नहि आय।
हरिजन शब्द मे देखिए,स्वयं ही हरि समाय।।
बेटा सबको ही चाहिए,कुल दीपक कहलाय।
मान सम्मान गृहशोभा,बिटिया ही बढ़ाय।।
इस योग्य तो नही फिर भी अब अंत मे दो दोहे शीर्षक समिति पर लिखने की चेष्टा कर रही हूँ।गलती हो तो क्षमा करे:-
शीर्षक परिवार वो है,जो ज्ञान मेरा बढ़ाय।
शनै शनै जीने की जो,जीवन आस जगाय।।
है कई समीतियाँ पर,एक यही मन को भाय।
जिसका आगमन हो यहाँ,एक परिवार हो जाय।।
#स्वरचित
आज तुम्हारी शादी की सालगिरह पर पलकजी और तुम्हारे लिए दोहे मेरी और से सप्रेम भेट:-
रहे न जीवन में कहीं,कोई भी अवसाद,
सालगिरह की आपको, बहुत मुबारकबाद,
चाँद चकोरी सा खिले, जीवन भर यह साथ,
भरी प्रेम के रंग से, रहे ये' बिंदी माथ,
जैसे पंछी की रही, दोय बूँद की प्यास,
बैठे हमउ लगाय हैं,दोय मीठन कि आस,
पाएं लक्ष्य उम्मीद का, वांछित सब संतान,
बजती राधा-कृष्ण सी, रहे ह्रदय में तान।
सादर नमन
नियमानुसार प्रतियोगिता से इतर(कमियां सादर आमंत्रित)-
विषय-सावन(दोहा)
1)अद्भूत ठण्डी फुहारे,सावन लेकर आय।
तीज त्यौहार मनावे,मनवा हिलौरे खाय।।
2)रिमझिम बारिश भये,मनभावन संगीत।
आतुर मनवा पी मिलन,पीर बड़ी मनमीत।।
3)सावन महिना अति प्रिये,शिवजी पूजन होत।
झिलमिल निश्छल जले,अनंत भोला जोत।।
4)बगीया सावन झूले,हरनार एक हि आस।
सावन पी संग फुले,जनम जनम हरि दास।।
5)सावन पूनम मनावे,रक्षाबंधन तिवार।
भाई बहना जतावे,एकदूजे प्रति हि प्यार।।
#स्वरचित
प्रियंका शर्मा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें