शनिवार, 3 जून 2017

जापानी विधा तांका

**जापानी काव्य शैली-ताँका**
*संरचना- 5+7+5+7+7= 31 वर्ण
*दो कवियों के सहयोग से काव्य सृजन
*पहला कवि-5+7+5 = 17 भाग की रचना , *दूसरा कवि 7+7 की पूर्ति के साथ श्रृंखला को पूरी करता है |
*पूर्ववर्ती 7+7 को आधार बनाकर अगली श्रृंखला 5+7+5 यह क्रम चलता रहता है इसके आधार पर अगली श्रृंखला 7+7 की रचना होती है | इस काव्य श्रृंखला को रेंगा कहते थे |
5+7+5+7+7= 31 वर्ण

******कविता******

ईश्वर की कृपा जीव लोक तक

* प्रभु भजन
प्राकृतिक सौंदर्य
उत्साही मन
नई ऊषा किरण
नव प्रभात संग
नई उमंग
नव चेतना लिए
धरा प्रसन्न
हर्षित जन-जन
उल्लासित है मन
विहग करें
सुरीला कलरव
मन मयूर
तन डोले बे-ताल
सुहावनी प्रभात
अरूण संग
स्वर्णिम गगन
मलय बहे
सुगंधित भू-तल
जीवलोक प्रसन्न |

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