शुक्रवार, 23 जून 2017

बाजी

कुंण्डलिया:-

बाजी ऐसी प्यार की,डूबे डूबत जाय
प्यार में बस दर्द मिले,दिल दे वो पछताय
दिल दे वो पछताय,और आँसू ही पावै
काम सब छोड़ी के,प्रेमी को ही रिझावे
कहूँ बात पते की,गलत दिशा के राही
प्रेम और जिंदगी,जीते न कोई बाजी।

प्रेम बाजी जो खेलिए,मानवता के संग
पाए जीवन की बेलि,तरह तरह के रंग
तरह तरह के रंग,ईशू कृपा से पावै
परिश्रम और साहस,जीवन अपना सँवारे
हर घड़ी कहत प्रिये,रख के सोच को पैनी
अपना नैतिक राह,बाजी जीते हि प्रेमी।

स्वरचित

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