बह् -212 212 212 212
प्यार तूने जताया मजा आ गया।
खण्डहर मे ख्वाब सजाया मज़ा आ गया।
कांटो पे हुआ ना मुमकिन चलना
चुनकर कांटो को जलाया मज़ा आ गया।
आँख मे थी हया हर मुलाकात पर
हाथ तूने बढ़ाया मज़ा आ गया।
तूने शरमा के मेरे सवालात पे
सर जो अपना झुकाया मज़ा आ गया।
अश्क़ को आँख ही आँख में पी लिया
ग़म जहाँ से छुपाया मज़ा आ गया।
अजनबी होता सजा भी देता 'प्रिया'
तूने जो यूँ सताया मज़ा आ गया।
#स्वरचित चयन हेतु नही
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