बुधवार, 14 जून 2017

गजल मजा आ गया


बह् -212  212  212  212

प्यार तूने जताया मजा आ गया।
खण्डहर मे ख्वाब सजाया मज़ा आ गया।

कांटो पे हुआ ना मुमकिन चलना
चुनकर कांटो को जलाया मज़ा आ गया।

आँख मे थी हया हर मुलाकात पर
हाथ तूने बढ़ाया मज़ा आ गया।

तूने शरमा के मेरे  सवालात पे
सर जो अपना झुकाया मज़ा आ गया।

अश्क़ को आँख ही आँख में पी लिया
ग़म जहाँ से छुपाया मज़ा आ गया।

अजनबी होता सजा भी देता 'प्रिया'
तूने जो  यूँ सताया मज़ा आ गया।

#स्वरचित चयन हेतु नही

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