एकला चलो रे:
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रवींद्र नाथ टैगोर की सुप्रसिद्ध रचना का उर्दू अनुवाद किया है Ajmal Siddiqui ने..
देवनागरी लिपि में पढ़ें-
जो कोई न आये बुलाने पे तेरे
जो हर एक डर डर के चेहरे को फेरे
तो तन्हा चला चल, तू तन्हा चला चल
जो तन्हा तुझे कारवाँ छोड़ जाये
वो उम्मीद-ए-मंज़िल तेरी तोड़ जाये
तो काँटों पर ईजाद कर इक नई राह
लहू-रंग नक़्श-ए-क़दम छोड़ता चल
तू तन्हा चला चल तू तन्हा चला चल
जो सब तुझ पे दरवाज़ों को बन्द कर दें
तेरी राह की रौशनी मंद कर दें
तो दुख के शरारों को ख़ुद ही हवा दे
और इक आग सीने में अपने जला चल
तू तन्हा चला चल तू तन्हा चला चल
जो कोई न आये बुलाने पे तेरे
जो हर एक डर डर के चेहरे को फेरे
तो तन्हा चला चल, तू तन्हा चला चल
#RavindranathTagore
#TagoreDeathAnniversary
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