रविवार, 30 जुलाई 2017

लघुकथा दायित्व

प्रतियोगिता हेतु लघुकथा(दायित्व)

शर्माजी ,वकील साहब के हरे भरे बगीचे में घूम रहे थे।घूमते हुए कई पौधो पर गौर किया,जो जर जर हालत में थे।बगीचे मे अमरूद,अनार,केला,आंवला,सीताफल,कटहलआदि कई फल तथा कई पुष्प पौधे थे।परन्तु न किसी पौधे मे फूल आये और न ही फल।बगीचे की हालत ऐसी मानो हरियाली बढ़ाने हेतु ढेर सारे पौधे ढूंस ढूंस कर भर दिए हो।
"देखो साहब!सादर...कहना ही चाहूँगा कि हमारा दायित्व है कि हम चाहे वर्ष में एक या दो पौधे लगाये,परंतु उनका अपनी संतान की भांति लालन करे।और उन्हें पौधे से वृक्ष के रूप में बढ़ने दे ताकि वह फल-फूल सके।तभी वृक्षारोपण सार्थक माना जायेगा।"
"अरे शर्माजी !जहां देखो वहां प्रदूषण।सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है ।तो अच्छा ही है ज्यादा पौधे ज्यादा हरियाली।"
"पहली बात तो इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता में कमी आ जाती है परिणामस्वरूप कोई पौधा फल फूल नही पाता।"
"और ?"
"और ये कि सोचिये यदि एक छोटे से कमरे में ढेर सारी भीड़ को ढूंस ढूंस कर भर दिया जाये तो क्या सांस लेना दुश्वार नही हो जायेगा उनका।"

#स्वरचित
प्रियंका शर्मा

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