बह् 2122 2122
काफ़िया-आ
रदीफ़-रहा।
चाहे सदा खारा रहा
तू ही सदा प्यारा रहा।
वादे सदा तोड़ा किये
सब कुछ यहाँ धोखा रहा।
यादे बसी तेरी सनम
ख्वाबों गमें सजाता रहा।
राहों सजा के फूल वो
रौशन सदा महका रहा।
उजड़ा हुआ घर-द्वार था,
सामान सब बिखरा रहा।
महँगे टमाटर हो गये
आलू सदा सस्ता रहा।
टेढ़े ज़रा रस्ते रहे
औ मैं सदा सीधा रहा।
अश्कों मिरे जो देख कर
सारा जहां हँसता रहा।
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