पांच अप्रकाशित रचनाएँ
1)पहली रचना-
#विषय-चाँद#
#विधा-हायकू#
चाँद न आया
दूर तलक अब
अँधेरा छाया।
रात घनेरा
घन घन गहरा
तारों का डेरा।
मन बावरा
पिया पर ठहरा
लाज लपेरा।
चाँद चकोर
बिरहन की आली
मैं मतवारी।
तारे बैरन
आज पि मिलन की
लगती काली।
क्यों मनवा
अब झांके उधर
शाख जिधर।
साँझ सकारे
दिल यही पुकारे
बालम आ रे।
हम अरसे
मिलन को तरसे
मन भाग रे।
मनवा छोड़
आज पि की नगरी
छोड़ डगरी।
चाँद निकला
हटा सब पहरा
मुख ठहरा।
आँसू गिरते
पियाजी जो दिखते
प्यार गहरा।
स्वरचित
प्रियंका शर्मा।
2)दूसरी रचना-
विषय-मगरूर
विधा-छंद मुक्त रचना।
होकर मगरूर,नशे में चूर,
मत भूलो तुम मानवता को,
जन्म लिया मनु वंशज हो,
मत धारो तुम दानवता को।
मशहूर से मगरूर का देखो,
नाता बहुत करीब है होता,
मशहूर तो हो,मगरूर न होना,
त्यागो तुम इस जटिलता को।।
हाथों में लेकर हम हाथ चलो,
सहज स्वीकार करो सरलता को,
नित स्नेह सदा निःस्वार्थ बनो,
गढों अहम से परे मिसाल अहो।
#स्वरचित#
प्रियंका शर्मा
3)तीसरी रचना-
विधा-दोहा
विषय-सावन।
1)अद्भूत ठण्डी फुहारे,सावन लेकर आय।
तीज त्यौहार मनावे,मनवा हिलौरे खाय।।
2)रिमझिम बारिश भये,मनभावन संगीत।
आतुर मनवा पी मिलन,पीर बड़ी मनमीत।।
3)सावन महिना अति प्रिये,शिवजी पूजन होत।
झिलमिल निश्छल जले,अनंत भोला जोत।।
4)बगीया सावन झूले,हरनार एक हि आस।
सावन पी संग फुले,जनम जनम हरि दास।।
5)सावन पूनम मनावे,रक्षाबंधन तिवार।
भाई बहना जतावे,एकदूजे प्रति हि प्यार।।
#स्वरचित
प्रियंका शर्मा।
4)चौथी रचना-
विधा-अतुकांत
सीप चंद सी परछाई,
देखी मैंने जल नभ में,
नाविक बन हुई सवार ,
नीले अम्बर के जल तल में।
नीला अम्बर अति सुंदर शोभित,
फैल रहा है चंद चंद में,
शशिकला भी सुन्दर सुशोभित,
झलकी मेरे तन मन मे।
मिलन ये कैसा सुन्दर देखो,
जल नभ का क्षितिज में,
और मेरा मन हुआ लालायित,
छूने को इस मधुर भ्रम में।
देखू जैसे चकोर टकटकी,
ओझल न हो घडी सुनहरी,
मन हर्षित हुआ प्रफुल्लित,
बयां न होगी मेरे मन की।
#स्वरचित#
प्रियंका शर्मा।
5)पांचवी रचना-
विधा-छंद मुक्त।
आदमी भूल करता है,
नाकामयाब भी होता है,
और दुःख भी है पाता,
लेकिन कभी बैठा नही रहता।
पुण्य-सलिला धारा नदी की,
बढ़ती हुई ही निर्मल है रहती ,
टूटती कगार मित्रों कभी ,
दे जाती है नुकसान भी,
इस डर से धारा को जो,
बांध दिया सदा के लिये,
होगा बुलावा सीधा ये तो,
सड़ान्ध और मृत्यु का।
ईश्वर भी सृष्टि को अपनी,
नही बाँधते सांकल से,
नई नई तब्दीलियां कर,
रखते चौकन्ना सृष्टि को,
तू भी उठ!!और लाँघ समाज की सीमा को,
गूंथ साहस के धागों में,
जीवन के हर एक कार्य को।
स्वरचित
प्रियंका शर्मा
1 रचनाकार का नाम- प्रियंका शर्मा.
पिता का नाम-श्री वासुदेव उपाध्याय
माता का नाम-श्रीमती कौशल्या उपाध्याय
2)पति का नाम- ऋषि शर्मा
3)वर्तमान/स्थायी पता-(प्रकाशन सामग्री भेजने का पता)
प्रियंका शर्मा व/०ऋषि शर्मा
गवली हॉस्पिटल के पास,
कुरावर मंडी,जिला-राजगढ़(ब्यावरा)
तहसील-नरसिंहगढ़(म.प्र.)
4)
ई मेल-
Priyankaupadhyay193@gmail.com
5)शिक्षा- बी.एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
एम. एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
(पी. जी. कॉलेज,मन्दसौर,
विक्रम यूनिवर्सिटी,उज्जैन)
जन्म-तिथि-
15/05/1987
जन्म स्थान-गंधवानी,जिला-धार(म.प्र.)
6)व्यवसाय- Nill
7)प्रकाशन विवरण-
प्रयास पत्रिका(संपादक-सरन घई),हिंदीसागर पत्रिका(जे. एम.डी. पब्लिकेशन,दिल्ली)।
8)घोषणा-
मैं ये घोषणा करती हूँ कि पुस्तक *"सोपान सांझा संग्रह"* भेजी गयी समस्त रचनाएं मेरे द्वारा लिखित है तथा जीवन परिचय में दी गयी समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है,असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।
प्रियंका शर्मा
दिनांक- 30/07/2017
प्रमाणपत्र-
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