शनिवार, 29 जुलाई 2017

सोपान

पांच अप्रकाशित रचनाएँ

1)पहली रचना-

#विषय-चाँद#

#विधा-हायकू#

चाँद न आया
दूर तलक अब
अँधेरा छाया।

रात घनेरा
घन घन गहरा
तारों का डेरा।

मन बावरा
पिया पर ठहरा
लाज लपेरा।

चाँद चकोर
बिरहन की आली
मैं मतवारी।

तारे बैरन
आज पि मिलन की
लगती काली।

क्यों मनवा
अब झांके उधर
शाख जिधर।

साँझ सकारे
दिल यही पुकारे
बालम आ रे।

हम अरसे
मिलन को तरसे
मन भाग रे।

मनवा छोड़
आज पि की नगरी
छोड़ डगरी।

चाँद निकला
हटा सब पहरा
मुख ठहरा।

आँसू गिरते
पियाजी जो दिखते
प्यार गहरा।

स्वरचित

प्रियंका शर्मा।

2)दूसरी रचना-

विषय-मगरूर
विधा-छंद मुक्त रचना।

होकर मगरूर,नशे में चूर,
मत भूलो तुम मानवता को,
जन्म लिया मनु वंशज हो,
मत धारो तुम दानवता को।

मशहूर से मगरूर का देखो,
नाता बहुत करीब है होता,
मशहूर तो हो,मगरूर न होना,
त्यागो तुम इस जटिलता को।।

हाथों में लेकर हम हाथ चलो,
सहज स्वीकार करो सरलता को,
नित स्नेह सदा निःस्वार्थ बनो,
गढों अहम से परे मिसाल अहो।
#स्वरचित#

प्रियंका शर्मा

3)तीसरी रचना-
विधा-दोहा

विषय-सावन।

1)अद्भूत ठण्डी फुहारे,सावन लेकर आय।

   तीज त्यौहार मनावे,मनवा हिलौरे खाय।।

2)रिमझिम बारिश भये,मनभावन संगीत।

    आतुर मनवा पी मिलन,पीर बड़ी मनमीत।।

3)सावन महिना अति प्रिये,शिवजी पूजन होत।

    झिलमिल निश्छल जले,अनंत भोला जोत।।

4)बगीया सावन झूले,हरनार एक हि आस।

    सावन पी संग फुले,जनम जनम हरि दास।।

5)सावन पूनम मनावे,रक्षाबंधन तिवार।

    भाई बहना जतावे,एकदूजे प्रति हि प्यार।। 

#स्वरचित

प्रियंका शर्मा।

4)चौथी रचना-
विधा-गज़ल

बह् -212  212  212  212

प्यार तूने जताया मजा आ गया।

खण्डहर मे ख्वाब सजाया मज़ा आ गया।

कांटो पे हुआ ना मुमकिन चलना

चुनकर कांटो को जलाया मज़ा आ गया।

आँख मे थी हया हर मुलाकात पर

हाथ तूने बढ़ाया मज़ा आ गया।

तूने शरमा के मेरे  सवालात पे

सर जो अपना झुकाया मज़ा आ गया।

अश्क़ को आँख ही आँख में पी लिया

ग़म जहाँ से छुपाया मज़ा आ गया।

अजनबी होता सजा भी देता 'प्रिया'

तूने जो  यूँ सताया मज़ा आ गया।

#स्वरचित 

प्रियंका शर्मा।

5)पांचवी रचना-

विधा-लघुकथा।

 लघुकथा(प्रकृति)

सुनिधि बड़ी उदास बैठी थी।आज उसकी शादी है और वो रोहित को चाहती है,रह रहकर रोहित की याद सताये जा रही थी।आँसू थे कि रुकने का नाम ही नही ले रहे थे।तभी उसकी सहेली लीला वहां आ गई।

"क्या मुँह बनाये बैठी है भूल जा अब सब कुछ और आगे बढ़।वर्तमान को स्वीकार कर।शादी है आज तेरी।चल उठ!कही घूम आते है।"

लीला,सुनिधि का हाथ पकड़ उसे खींच कर ले जाने लगी।

"काकी हम अभी आ जाएंगे।"

"अच्छा ठीक है बेटा। मन बहल जायेगा इसका वरना कभी से रो रही है।तू  ही समझा इसे।इसके बापू जिंदा होते तो बात कुछ और होती पर मैं अकेली जान समाज को क्या मुँह दिखाउंगी।जात बिरादरी में रहना मुश्किल हो जायेगा वरना मैं कोई इसके प्यार की दुश्मन थोड़े ही हूँ।"

"हां काकी,सब समझती हूँआप चिंता मत करो।हमारी सुनिधि बहुत समझदार है।"

लीना सुनिधि को नदी किनारे ले जाती है।कुछ देर दोनों खामोश बैठे रहते है।सुनिधि को उदास देख लीना उस पर पानी उड़ा देती है।जैसे ही पानी की बौछार सुनिधि के चेहरे को भिगोती है उसका मन थोड़ा ठीक होने लगा।चारों और हरियाली हरे भरे पेड़ पौधे,फूलों की सौंधी सौंधी खुशबू उसके मन को आनंदित करने लगी। रिमझिम सावन की फुहारें मानो उसकी सारी पीड़ा हरने लगी।पास ही स्थित मंदिर के हाल में बैठकर दोनो ने अपनी माँ का भेजा खाना उसे खिलाया।

" सुनिधि याद है पिछली बार जब यहाँ हम आये थे , बाढ़ ने यहाँ की हरियाली को रेगिस्तान मे तब्दील कर दिया था । और आज ये हरियाली मानो कभी कुछ हुआ ही ना हो ।

यही दस्तूर है यार , अतीत को इतना भी वक्त नहीं देना चाहिये कि भविष्य बदरंग हो जाये । आगे बढ़ना ही जीवन है....."

"तू  और माँ ठीक ही कहते हो,उसे भूल जाने में ही भलाई है।

जाने कहाँ चला गया मुझे छोड़कर,अब कब तक माँ इंतजार करे।उसकी भी जिम्मेदारी है पता नही वो आएगा भी या नही।"

" अब ज्यादा सोच मत और इस खुशी को यूँ ही बरकरार रख।चल अब घर चले काकी इंतजार कर रही होगी,दुल्हनियां।"

दोनों बाहों में बाहे डाले जोर जोर से हँसने लगी।

स्वरचित

प्रियंका शर्मा।

जीवन-परिचय प्रारूप:

1 रचनाकार का नाम- प्रियंका शर्मा.   

पिता का नाम-श्री वासुदेव उपाध्याय

माता का नाम-श्रीमती कौशल्या उपाध्याय
2)पति का नाम- ऋषि शर्मा
3)वर्तमान/स्थायी पता-(प्रकाशन सामग्री भेजने का पता)
   प्रियंका शर्मा व/०ऋषि शर्मा
    गवली हॉस्पिटल के पास,
     कुरावर मंडी,जिला-राजगढ़(ब्यावरा)
     तहसील-नरसिंहगढ़(म.प्र.)
4)
    ई मेल-
     Priyankaupadhyay193@gmail.com
5)शिक्षा- बी.एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
              एम. एस. सी.(कंप्यूटर साइंस)
              (पी. जी. कॉलेज,मन्दसौर,
                 विक्रम यूनिवर्सिटी,उज्जैन)
    जन्म-तिथि-
            15/05/1987

जन्म स्थान-गंधवानी,जिला-धार(म.प्र.)
6)व्यवसाय- Nill          

7)प्रकाशन विवरण-
            प्रयास पत्रिका(संपादक-सरन घई) दो कहानी ,हिंदीसागर पत्रिका(जे. एम.डी. पब्लिकेशन,दिल्ली), विश्वगाथा (चार लघुकथाऐ), सत्य की मशाल पत्रिका में प्रकाशित होने वाली एक चित्रआधारीत प्रतियोगिता में विजेता लघुकथा।
8)घोषणा-
            मैं ये घोषणा करती हूँ कि पत्रिका "* हिंदीसागर " द्वारा भेजी गयी समस्त रचनाएं मेरे द्वारा लिखित है तथा जीवन परिचय में दी गयी समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है,असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।
      
प्रियंका शर्मा
दिनांक- 02/08/2017



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