गुरुवार, 18 मई 2017

कल्पना

सीप चंद सी परछाई,
देखी मैंने जल नभ में,
नाविक बन हुई सवार ,
नीले अम्बर के जल तल में।

नीला अम्बर अति सुंदर शोभित,
फैल रहा है चंद चंद में,
शशिकला भी सुन्दर सुशोभित,
झलकी मेरे तन मन मे।

मिलन ये कैसा सुन्दर देखो,
जल नभ का क्षितिज में,
और मेरा मन हुआ लालायित,
छूने को इस मधुर भ्रम में।

देखू जैसे चकोर टकटकी,
ओझल न हो घडी सुनहरी,
मन हर्षित हुआ प्रफुल्लित,
बयां न होगी मेरे मन की।

#स्वरचित#
प्रियंका शर्मा

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