देख जनम बेटी का,
हैवानों ने क्या कर डाला,
छोड़ फुटपाथ नन्ही परी को,
देखो शैतान कैसे भागा।
एक वृद्ध फरिश्ता बनकर,
फिर वहां पर आया,
बेटे बहू ने निकाला घर से,
बचा न कोई सहारा,
लिया गोद में उस बिटिया को,
सीने से लगाया,
रोती बिलखती गुड़िया रानी,
बॉटल से दूध पिलाया,
शांत करे बिटिया रानी को,
और यूँ बतियाया,
इस शापित जीवन में तूने ,
नया प्राण फूंक डाला,
जीवन पथ घिरा चिंता से,
पर मानवता प्रथम धर्म हमारा,
जब तक शरीर में प्राण है,
मैं बना हूँ तेरा सहारा,
कर परिश्रम कैसे भी मैं,
तुझको तो पढ़ाऊंगा,
सर उठाकर जीने योग्य,
मैं तुमको बनाऊंगा,
इच्छा शक्ति से मैं अपनी,
मृत्यु को छल जाऊंगा,
संवार जीवन तेरा ही अब ,
इस दुनिया से जाऊंगा।
#स्वरचित
बुधवार, 10 मई 2017
फरिश्ता
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