बुधवार, 17 मई 2017

हायकू चाँद1

#स्वरचित-प्रियंका शर्मा#

#विषय-चाँद#

#विधा-हायकू#

चाँद न आया
दूर तलक अब
अँधेरा छाया।

रात घनेरा
घन घन गहरा
तारों का डेरा।

मन बावरा
पिया पर ठहरा
लाज लपेरा।

चाँद चकोर
बिरहन की आली
मैं मतवारी।

तारे बैरन
आज पि मिलन की
लगती काली।

क्यों मनवा
अब झांके उधर
शाख जिधर।

साँझ सकारे
दिल यही पुकारे
बालम आ रे।

हम अरसे
मिलन को तरसे
मन भाग रे।

मनवा छोड़
आज पि की नगरी
छोड़ डगरी।

चाँद निकला
हटा सब पहरा
मुख ठहरा।

आँसू गिरते
पियाजी जो दिखते
प्यार गहरा।

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