मंगलवार, 8 अगस्त 2017


2122     2122    212
दरमियाँ दूरी मिटाकर देखिये।
फूल गुलशन में खिलाकर देखिये।

है 2म1हक2ती 2धू2प 1भी 2तो2सांझ2 त1ले2
हम2स1फर2 मुझ2को2 ब1ना2 कर2 देखिये212

आरजू212 पूरी22 हमारी122 भी2 होगी22(एक मात्रा  अंत में बढ़ाई जा सकती है)
आसमां 212 पैरों22झुका12 कर2 देखिये212

जो 2रूठे12 दिलबर22 मिरे12 है2 सनम12
अब 2जरा 12उनको 22मनाकर 122देखिये212।

दर्द21 दिल2 के2 भूल21सारे22 हम2न1वां2
इश्क़ मेंअब गुनगुनाकर देखिये।
सादर नमन
कमियां सादर आमन्त्रित है(सुधार हेतु)
आज का मिसरा
इश्क़ में अब गुनगुनाकर देखिये
बह्र-2122  2122  212

2122     2122    212
दरमियाँ दूरी मिटाकर देखिये।
फूल गुलशन में खिलाकर देखिये।

है महकती धूप भी तो सांझ तले
हमसफ़र मुझको बनाकर देखिये।

आरजू पूरी तुम्हारी कब हुई
आसमां पैरों झुकाकर देखिये।

जो रहे नाराज़ मेरे है सनम
अब ज़रा उनको मनाकर देखिये।

दर्द दिल के भूल सारे हमनवां
इश्क़ में अब गुनगुनाकर देखिये।

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